A Safety Officer plays a pivotal role in ensuring the well-being of employees, protecting the environment, and maintaining compliance with safety regulations within an organization. This position is critical for fostering a culture of safety and minimizing the risk of accidents and injuries. Here, we outline the key responsibilities and roles of a Safety Officer:
- सेफ्टी ऑफिसर का मुख्य तौर पर मैनेजमेंट को सुरक्षा के लिए सलाह देना है और साइट या इंडस्ट्री में अनसेफ एक्ट और अनसेफ कंडीशन को ठीक करने के लिए सुझाव देना होता है।
- सेफ्टी ऑफिसर को सुबह काम शुरू होने से पहले साइट विजिट करना होता है और सुपरवाइजर व इंजीनियर को यह आदेश देना चाहिए कि काम शुरू होने से पहले साइट पर कार्य से सम्बंधित जो भी खतरे हैं उन्हें दूर करें और वर्कर को कोई दिक्कत है तो उसकी सहायता करें।
- साइट पर विजिट करते समय सेफ्टी ऑफिसर को आदेश देने के अलावा प्रॉब्लम का समाधान देना भी जरुरी है। वर्क मेथड स्टेटमेंट के आधार पर कार्य कैसे करना है उसकी जांच करें व हैजर्ड आइडेंटिफिकेशन एंड रिस्क अस्सेस्मेंट (HIRA) को समझाना चाहिए।
- सेफ्टी से सम्बंधित सेफ्टी इंडक्शन, टूलबॉक्स टॉक मीटिंग, पैप टॉक और सेफ्टी ट्रेनिंग देना सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है।
- Unsafe Act and Unsafe Conditions को रोकना, साथ साथ इनकी सेफ्टी इंस्पेक्शन (Observation) रिपोर्ट बनाकर मैनेजमेंट को भेजना और corrective Action मैनेजमेंट को suggest करना।
- Safety Observations को इंजीनियर या सुपरवाइजर को बताना जरुरी है। बार बार Unsafe Act and Unsafe Conditions मिले तो इंचार्ज को Warning Latter देना और मैनेजमेंट को उस Safety Violation के लिए बार बार बताना अनिवार्य है। किस पर क्या एक्शन लेना है इसके लिए मैनेजमेंट को एडवाइस करना सेफ्टी ऑफिसर का मुख्य कार्य है।
- सभी तरह की मशीन, पावर टूल्स, इलेक्ट्रिक पैनल बोर्ड, लिफ्टिंग मैटेरियल्स आदि आदि का सम्बंधित विभाग के साथ सेफ्टी इंस्पेक्शन करना ।
- साइट मैनेजमेंट के लिए एक कमिटी बनाकर कमिटी मीटिंग करना और इस मीटिंग से पहले मीटिंग का एजेंडा तैयार करना, इस कमिटी में सभी से सेफ्टी के पॉइंट्स पर डिसकस करना होता है और सुरक्षा से सम्बंधित प्रॉब्लम का सोल्युशन निकाला जाता है।
- सेफ्टी कमिटी मीटिंग के हो जाने के बाद जिन बातों पर डिसकस हुआ है उनका Minutes of Meeting बनाकर सभी को एक एक कॉपी देनी अनिवार्य है।
- सेफ्टी ऑफिसर को सेफ्टी आइटम पर्सनल प्रोटेक्टिव एक्यूप्मेंट (PPE) की जरूरतों के बारे में भी बताना जरुरी है क्या और कितना सामान चाहिए इसके बारे में सुनिश्चित करना चाहिए। खराब सेफ्टी आइटम कि जांच करें और वर्कर को दिक्कत हो रही है तो उसकी परेशानी को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
- सेफ्टी ऑफिसर का सबसे अहम् कार्य दुर्घटनाओं की जाँच करना है जैसे कि नियर मिस, फर्स्ट ऐड इंज्युरी, डेंजरस औक्यूरैंस (DO), फेटेलिटी आदि आदि होने पर उनकी अच्छी तरह से जाँच करना, दुर्घटना के कारणों को जानना और भविष्य में ऐसा न हो इसके बारे में मैनेजमेंट को सुझाव देना।
- किसी गैस या मैटेरियल्स से बीमारी होती है या वर्कर को हेल्थ प्रॉब्लम होती है तो उसका रिकॉर्ड रखना जरुरी है और उससे कैसे बचा जा सकता है उसके बारे में जांच करवाना है।
- सेफ्टी ऑफिसर को एक टीम लीडर बनकर और कॉन्फिडेंस के साथ मैनेजमेंट को सुझाव देना व समस्याओं का निवारण करने की क्षमता होना अनिवार्य है।
सेफ्टी ऑफिसर कैसे बने लीडर – आवश्यक गुण और विशेषताएं
एक अच्छे लीडर को हमेशा व्यावहारिक होना चाहिए। अपनी पर्सनालिटी को मेन्टेन रखना जरुरी है जिसके लिए अच्छे कपडे पहनना, साफ सुथरा रहना अनिवार्य है। लीडर का चरित्र उच्च होना चाहिए। अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए लीडर के अंदर तर्क वितर्क शक्ति का होना अति आवश्यक है। ऐसे कौन कौन से गुणों से लीडर अपने आप को एक अच्छा लीडर कहला सकता है, उन्ही विशेषताओं और गुणों को अपने दैनिक जीवन में ढाल कर आप भी एक अच्छे लीडर बन सकते हैं।
एक लीडर को अपने स्टाफ के मन में कर्म ही पूजा है की भावना जागृत करनी चाहिए। स्वम् लीडर एवं स्टाफ के मन में इस प्रकार की भावना उत्त्पन हो जानी चाहिए कि उनका काम ही भगवान है। कार्य क्षेत्र उसका मंदिर है। इस तरह की भावना जब सबके मन में आ जाएगी तो सभी अपने कार्यों को अच्छी तरह से पूरी लगन के साथ परिश्रम से करेंगे।
लीडर के अंदर अपने स्टाफ को बहादुरी पूर्ण कार्य हेतु हमेशा प्रेरित करना चाहिए । अपने विभाग के जाने माने व्यक्तियों के कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए अपने स्टाफ को प्रोत्साहित करना कि आप भी ऐसा कार्य कर सकते हैं। इस प्रकार की प्रेरणा पाकर स्टाफ के अंदर नई उमंग और जोश पैदा होता है और कठिन से कठिन कार्य को भी आसानी से कर सकता है ।
अपने विभाग के पिछले इतिहास के अच्छे बुरे कार्यों का व्याख्यान करना और बताना कि कार्य को कैसे बेहतर कर सकते हैं । विभाग के व्यक्तियों द्वारा किये गए पूर्व रोमांचकारी कार्यों को तर्क व उदाहरणों द्वारा अपने स्टाफ को बताकर पहले की गई गलतियों को सुधारते हुए स्टाफ को प्रोत्साहित करना चाहिए ।
एक लीडर को अपने सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु अपने डिपार्टमेंट के उद्देश्य तथा कार्यों को पब्लिक के सामने प्रस्तुत करना चाहिए जिससे कि लोगों का लगाव आपके विभाग के प्रति बढ़ जाए । इसके लिए लीडर को सेमिनार का आयोजन करना, पोस्टर और बैनर छपवाना, प्रतियोगिता करवाना आदि आदि कार्यों द्वारा अपने विभाग की पब्लिसिटी करना चाहिए । लोगों का ध्यान आपकी तरफ बढ़ेगा तो आपका स्टाफ या आपके अधीनस्थ जो भी कार्य कर रहा है वो खुश होगा और आपकी इज्जत करेगा ।
एक लीडर को अपने सारे स्टाफ को उनकी उनकी काबिलियत के हिसाब से ड्यूटी का बंटवारा करना चाहिए । जिसका जैसा टैलेंट उसको वैसा ही काम देना चाहिए । अगर आपके किसी स्टाफ की काबिलियत सेफ्टी ऑफिसर बनने की है और आपने उसे सेफ्टी ऑफिसर का कार्य न देकर कोई दूसरा कार्य करवाया तो वह अपनी परफॉरमेंस अच्छी नहीं दे पायेगा और इससे डिपार्टमेंट की बदनामी होगी । इसलिए अपने स्टाफ से जो जैसा कार्य करना जानता है उससे वैसा ही कार्य करवाना चाहिए ।
एक लीडर को अपने स्टाफ के साथ भविष्य की योजना बनानी चाहिए क्योंकि कोई भी कार्य जो लम्बे समय तक चलता है तो स्टाफ उस योजना के साथ जुड़ा रहता है । भविष्य के किसी भी कार्य को करने से पहले स्टाफ के साथ बैठकर पूरी प्लानिंग करनी चाहिए। इससे अगर योजन फेल भी होती है तो आपको कमियों का पता रहेगा और आपका स्टाफ आपको सहयोग करेगा। और आप एक अच्छे लीडर कहलायेंगे ।
लम्बे समय तक सुचारु रूप से कार्य करने के लिए भविष्य की योजनाओं के साथ साथ नीतियों की भी जरुरत पड़ती है। अपने विभाग, कंपनी, संस्था, संगठन के लिए लीडर को उच्च स्तर पर कार्य करने हेतु सम्बंधित नीति नियम उद्देश्यों का निर्माण करना चाहिए ।
एक लीडर को अपने डिपार्टमेंट के कार्य की जानकारी होनी चाहिए । अपने विभाग से सम्बंधित कार्य में दक्षता हासिल करना अनिवार्य है । जिस प्रकार चिकित्सा विज्ञान में हृदय रोग, चर्म रोग, मष्तिष्क रोग आदि आदि के स्पेशल विशेषज्ञ होते हैं जो अपने कार्य क्षेत्र में माहिर होते हैं तथा उन्हें अपने विभाग की विशेष योग्यता हासिल है । ठीक उसी प्रकार एक लीडर को भी अपने कार्य क्षेत्र में विशेषज्ञ होना जरुरी है। एक विशेषज्ञ लीडर अपने डिपार्टमेंट को शिखर तक पहुंचा सकता है ।
एक लीडर अपने विचार, राय या मत के द्वारा अपने उच्च अधिकारियों व स्टाफ के मत या विचारों को बदल दे, ऐसी विचारधारा एक लीडर की होनी चाहिए। मतलब कि एक लीडर को विचारधारावादी होना चाहिए । जिस प्रकार जाट आंदोलन, किसान आंदोलन आदि आदि अपनी कम्युनिटी के सुधार हेतु अपनी राय प्रस्तुत की जिससे आम जनता ने प्रभावित होकर संघर्ष स्वीकार किया। ठीक इसी प्रकार एक लीडर को अपने विभाग या संगठन के सम्बंध में मत प्रस्तुत करना चाहिए जो सभी को मान्य हो ।
एक लीडर को करिश्मावादी अनुशासक होना चाहिए जो अपने कार्यों, विचारों, योजनाओं और मतों के द्वारा अपने विभाग में अभूतपूर्व बदलाव ला दे । ऐसे लीडर को करिश्मावादी लीडर कहा जाता है। जिस प्रकार इतिहास में नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने विकट परिस्थितियों में भी अपने कार्यों द्वारा समाज के सामने मिशाल प्रस्तुत की । ठीक इसी प्रकार एक लीडर को करिश्माकारी कार्य करके अपने विभाग को मजबूत कर सकता है ।
एक लीडर के अंदर तानाशाही सोच नहीं होनी चाहिए जिसे अपने विभाग या संगठन के लोगों की भावनाओं की कद्र न हो । अपने अनुसार बनाये गए नियमों और नीतियों के द्वारा जबरन कार्य करवाना, ऐसे तानाशाही लीडर को स्टाफ व साथ जुड़े लोगों के कल्याण से कोई मतलब नहीं होता है।
एक अच्छे लीडर के अंदर न्याय व सहानुभूति की भावना का समावेश होना चाहिए । अच्छे लीडर को अपने स्टाफ के प्रति न्याय करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसके फैसले का असर स्टाफ पर नकारात्मक न पड़े ।
अनुशासन और लीडरशिप एक दूसरे के पूरक हैं क्योंकि जीवन में एक को उतारे बगैर दूसरे को नहीं लाया जा सकता । अनुशासन के द्वारा ही लीडर के आदेश का पालन करने की शिक्षा मिलती है। इंसान अपने जीवन में कठिन अभ्यास के द्वारा अनुशासन ला सकता है। अनुशासन के द्वारा ही लीडर के अंदर नैतिकता, मानवता, निष्ठा, समय का पाबंद आदि आदि गुणों का समावेश होता है ।