लिफ्टिंगऔरशिफ्टिंग करते समय कभी कभी उठाया गया सामान स्लिंग व डी शेकल के टूटने या किसी वजह से फेल होने से गिर जाता है और कभी-कभी क्रेन भी पलट जाती है या बूम बेंड हो जाता है। हमें इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी क्रेन या किसी अन्य मशीन से उठाये हुए सामान या भार के नीचे न जाएँ । अन्यथा लटके भार के गिरने और उसके नीचे दबने से भी दुर्घटना हो जाती है। बिजली की लाइन्स के आस पास लिफ्टिंग करते समय भीविद्युत अपघात की घटनाओं के बारे में सुना गया है। ऐसी दुर्घटनाएं मुख्यतया लिफ्टिंग की सही प्लानिंग न करने की वजह से होती है। तथा सुरक्षा के नियमों की सही जानकारी न होना व अतिविश्वास इन दुर्घटनाओं का मूल कारण बनता है।
आइये इन सब खतरों से निपटने के लिए जरूरी सुरक्षा नियमों के बारे में जानें:-
- किसी भी क्रेन को उपयोग में लेने से पहले, दी गई चेकलिस्ट के माध्यम से निरीक्षण करें। इस काम को करने के लिए प्लांट में अधिकृत क्रेन चैंपियन की मदद लें।
- क्रेन को उपयोग करने से पहले क्रेन ऑपरेटर को क्रेन की चेकिंग शिफ्ट का काम चालू करने से पहले करना चाहिए। इसके लिए एक चेकलिस्ट निर्धारित की गई है। अगर कोई डिफेक्ट मिलता है तो इसकी सूचना तुरंत अपने सुपरवाइजर को दें।
- उपयोग के दौरान सभी क्रेन्स का महीने में या सप्ताह में इंस्पेक्शन क्रेन चैंपियन के द्वारा होना चाहिए।
- उपयोग के दौरान सभी क्रेंस का सालाना निरीक्षण, थर्ड पार्टी और टेस्टिंग का वैद्य प्रमाण पत्र कंपिटेंट परसन से होना अनिवार्य है।
- सभी लिफ्टिंग गियर्स जैसे स्लिंग, डी शेकेल, चैन पुली ब्लाक, हुक, विंच मशीन इत्यादि की न्यूनतम सालाना टेस्टिंग थर्ड पार्टी कंपिटेंट परसन से होना अनिवार्य है और टेस्टिंग का वैद्य प्रमाण पत्र क्रेन के साथ होना अनिवार्य है। इसके बाबजूद हर उपयोग से पहले स्वयं लिफ्टिंग गियर्स की कंडीशन चेक कर लें।
- सभी क्रेन्स में एस एल ई और एंटी टू ब्लॉकिंग होना अनिवार्य है। एस एल ई से पता लगता है की हम कितना लोड उठा रहे है। कम्प्यूटर में सामने रीडिंग आ जाती है। ओवर लोडिंग होने पर यह क्रेन की पॉवर को काट देता है। वही एंटी टू ब्लॉकिंग, टू ब्लॉकिंग को रोकता है तथा ऐसा होने पर क्रेन के ऑपरेशन को काट देता है। हाएड्रा क्रेन में एस एल ई का प्रावधान वैकल्पिक है।
- कभी भी किसी क्रेन व लिफ्टिंग गियर्स को ओवर लोड न करे । ऐसा करने से कभी भी दुर्घटना हो सकती है।
- सुरक्षित क्षमता ( एस डब्ल्यू एल ) सभी क्रेन व लिफ्टिंग गियर्स पे मार्क होना चाहिए। जिससे कि साइट पर पता लग सके कि इससे कितना तक लोड उठाया जा सकता है।
- डी शेकेल के पिन में वियर को चेक कर ले तथा इसके पिन की जगह बोल्ट को ना डालें । पिन की चूड़ी खराब (मरी हुई) ना हो।
- कभी भी टूटी फूटी या काम चलाऊ गांठ वाली स्लिंग का उपयोग न करें।
- क्रेन स्विंग करते समय काउंटर वेट का क्लीयरेंस जांच लें और क्रेन में रिवर्स हॉर्न व स्विंग अलार्म होना चाहिए।
- जब कभी क्रेन का उपयोग बकेट के माध्यम से आदमी उठाने के लिए किया जाए तो बकेट टेस्टेड व प्रमाणित होनी चाहिए और उस पर एस डब्ल्यू एल लिखा होना चाहिए।
- 35 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा हवा में लिफ्टिंग न करे।
- एक से अधिक क्रेन से लोड उठाते समय, एक मध्यवर्ती रिगर रखना चाहिए जोकि दोनों क्रेन ऑपरेटर्स के बीच तालमेल रखें तथा सिग्नल दे। ऐसे कामों में उपयोग की जाने वाली क्रेन की क्षमता हर क्रेन पर आने वाले अनुमानित लोड से 20% अधिक होना चाहिए।
- उठाए जाने वाले लोड में कोई लूज मटेरियल नहीं होने चाहिए। अन्यथा ये ऊंचाई पर जा कर किसी के ऊपर गिर सकता है।
- लोड व चलती हालत में ऑपरेटर को क्रेन नहीं छोड़ना चाहिए और क्रेन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें। इससे ध्यान विचलित होता है।
- बिजली की लाइन से क्रेन कि न्यूनतम 6 मीटर की दूरी होनी चाहिए। अगर जरूरत है तो बिजली की लाइन बंद करके काम करें।
- क्रेन के हुक में एक से अधिक स्लिंग लगाने के लिए डी शेकेल का इस्तेमाल करे। और क्रेन के हुक में हुक लेच का होना बहुत जरूरी होता है।
- लिफ्टिंग लग्स का उपयोग करने से पहले पूरी जांच कर लेनी चाहिए। ताकि उसमें कोई बेल्डिंग डिफेक्ट न हो। क्रेन हुक की ओपनिंग इसकी स्वीकृत सीमा से 10% अधिक नहीं होनी चाहिए।
- क्रेन का हुक फूल लिमिट पर आने के बाद विन्च ड्रम में रोप के कम से कम 3 राउंड होना जरूरी है।
- वायर रोप सलिंग्स को अच्छे तरीके से स्टोर करे ताकि उनमें डैमेज न हो और किंक न आये।
- लिफ्टिंग एरिया में वायर रोप या सलिंग्स इत्यादि को वेल्डिंग और पावर केबल्स को दूर रखें। वैल्डिंग केबल के संपर्क में आने के बाद वायर रोप सोर्ट सर्किट हो कर कट सकती है।
- लिफ्टिंग शिफ्टिंग का काम बिना परमिट के न करें। अंधेरा होने पर लिफ्टिंग ना करें। उचित लाइट की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
- लिफ्टिंग से पहले उठाए जाने बाले लोड का सही आंकलन कर लें। लोड के आकार, प्रकार , गुणधर्म इत्यादि ध्यान में रख कर असेसमेंट करें।
- सुनिश्चित करें कि लोड को उठाने के लिए क्रेन की साईट कंडीशन, रेडियस व लोड चार्ट के हिसाब से पर्याप्त क्षमता है या नहीं । लोड चार्ट में दी गई क्षमता का 90% ही क्रेन की क्षमता को मान के चलता है।
- क्रेन को समान रूप से लेवल सॉलिड ग्राउंड पर खड़ा करे। और अगर ग्राउंड कंडीशन सही नहीं है तो सही मोटाई की स्टील प्लेट इत्यादि डाल कर अलग से मजबूती करें।
- आउट ट्रिगर वाली क्रेन में, आउट ट्रिगर के नीचे सोल प्लेट डालना न भूले।
- जब भार दो क्रेन से उठाना हो या कैपिसिटी लोडिंग >80% हो ( एस एल ई के साथ ) या भार 5 टन से ज्यादा हो तो उसे क्रिटिकल लिफ्ट कहते है। ऐसी स्थिति में लिफ्ट प्लान क्रेन चैंपियन से प्रमाणित होना चाहिए ।
- क्रेन के हुक को लोड पर सीधा लगाऐं। और लोड को बेलेंस तरीके से स्लिंग के माध्यम से कनेक्ट करे। स्लिंग इत्यादि अच्छी कंडीशन में होना चाहिए।
- स्लिंग में अगर एक से अधिक लेग है तो सभी लेग में लोड बेलेंस होना चाहिए। कभी कभी स्प्रेडर बीम का उपयोग भी लोड बेलेंस करने के लिए किया जाता है।
- लोड को पहले जमीन से थोड़ा उठाएं और फिर होल्ड करें और सब कुछ चेक करके आगे की लिफ्टिंग करें । लोड को झटके से ना उठाएं । धीरे धीरे समान गति से लिफ्टिंग करें।
- लिफ्टिंग के काम में कुशल कामगार, रिगर, सिगनल मैन, फोरमैन होना चाहिए। सिगनल मैन को एक चमकदार जैकेट पहनना चाहिए और ऑपरेटर व सिगनल मैन के बीच में अच्छा तालमेल होना जरुरी है।
- लोड के नोकदार किनारों पे स्लिंग किसी सॉफ्ट पैड के साथ लगाऐं।
- लोड के साथ टैग लाइन बांधे, और लोड के स्विंग को हाथों से कंट्रोल न करे । बल्कि रस्सी से लोड स्विंग को कंट्रोल करें।
- लटके भार के नीचे से न जाएं, व नीचे न खड़े हों। लिफ्टिंग एरिया को बैरिकेड करना न भूलें । चेतावनी बोर्ड भी लगाएं कि सावधान लिफ्टिंग का काम चालू है।