HSE मैनेजमेंट कंस्ट्रक्शन साइट व इससे सम्बंधित इंडस्ट्री में कार्य करने वाले सभी आदमियों की सुरक्षा व स्वास्थय के लिए एक नियमबद्ध योजना तैयार करता है और उन नियमों को सख्ती से लागू करता है, इसके साथ साथ मशीनों को, सामान को व वातावरण को सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षा के नियमानुसार बचाव करता है। इसके अलावा HSE मैनेजमेंट द्वारा कंस्ट्रक्शन व सम्बंधित इंडस्ट्री में कार्यरत कंपनियों को और साइट व ऑफिस मैनेजमेंट को सरकार द्वारा बनाये गए कानूनों व नियमों की सुचना देना और उन नियमों का सख्ती से पालन करवाना भी है।
एक्सीडेंट दुर्घटना एक भयानक शब्द और स्थिति है । इसी शब्द में छुपी भयावह स्थिति को अपने वश में करने के लिए HSE मैनेजमेंट का निर्माण हुआ। आदमी जिस तरह से प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है उसी तरह उसके सामने तरह तरह की दुर्घटनाएं देखने व सुनने को आती हैं। इन्ही दुर्घटनाओं से बचने के लिए HSE मैनेजमेंट अपने तौर तरीकों से इन्सान को सावधान करता है। इंसान की अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बड़े व छोटे औद्योगिकरण (Industry) का निर्माण होता जा रहा है। इस तरह से बढ़ते औद्योगिकरण से कंस्ट्रक्शन और इंडस्ट्री में खतरे भी बढ़ रहे हैं। इन इंडस्ट्रियल hazards (औधोगिक खतरों) से इंसान व वातावरण को बचाना अनिवार्य हो गया है। HSE मैनेजमेंट के द्वारा ही इन खतरों को काम किया जा सकता है या यूँ कहें कि कंस्ट्रक्शन और इंडस्ट्री में खतरों से बचने के लिए सुरक्षा का बहुत बड़ा महत्व है।
इंसान गलतियों का पुतला है, हर किसी की जुबान पर ये कहावत मिल जाती है। कहा जाता है कि इंसान गलतियों से सीखता है लेकिन ये वो गलतियां होती हैं जो सामाजिक और घरेलु होती हैं। कंस्ट्रक्शन और इंडस्ट्री में गलती करना अपनी जान को गंवाना है। साइट पर या फैक्टरी में इंसान की गलतियों की वजह से दुर्घटनाएं होती हैं और इसी तरह का आंकड़ा अध्ययन करने पर पाया गया है कि Unsafe Act (असुरक्षित कार्य) की वजह से दुर्घटनाएं अधिक होती हैं। यह बात स्पष्ट है कि हर दुर्घटना का कोई न कोई कारण होता है और इंसान की गलती की ही उसमें मुख्य भूमिका होती है।
HSE मैनेजमेंट का कार्य कंपनी के वर्कर्स को, मशीनों को, सामान को और वातावरण को सुरक्षित रखना व साइट पर होने वाले खतरों को हटाना है और दुर्घटना के रिस्क को कम करना है। किस तरह से HSE मैनेजमेंट अपने कार्य को करता है और कंस्ट्रक्शन व इंडस्ट्री की दुर्घटनाएं, सड़क दुर्घटनाएं, रेल दुर्घटनाएं, घरेलु दुर्घटनाएं, प्राकृतिक आपदाएं आदि आदि से बचाव के क्या तरीके होते हैं, उन सब के बारे में आप हर एक नए लेसन में नया अध्ययन करेंगें।